इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (नपुंसकता) के इलाज में पिछले कुछ वर्षों में बहुत तरक्की हुई है .नई दवाइयां एवं तकनीकों से नपुंसकता का इलाज अब सफलतापूर्वक किया जाता है. इलाज के निम्नलिखित तरीके आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं-
1. दवाइयां – ऐसी दवा जो कि लिंग में खून के बहाव को बढ़ा के लिंग में तनाव पैदा करती हैं आमतौर पर इस्तेमाल की जाती हैं . कई बार लोग इन दवाइयों को सेक्स के तुरंत पहले इस्तेमाल करते हैं और डॉक्टर से संपर्क किए बिना अपने आप से इन दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं. यह तरीका नुकसानदायक भी हो सकता है क्योंकि यह दवाइयां हर मरीज के लिए ठीक नहीं है और कुछ लोगों में साइड इफेक्ट भी कर सकती हैं
2. न्यूट्रास्यूटिकल- कई प्रकार के सप्लीमेंट और ऐसे पौधे जिन के अंदर मेडिकल गुण पाए गए हैं भी अक्सर इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के इलाज में इस्तेमाल किए जाते हैं. न्यूट्रास्यूटिकल्स का इस्तेमाल भी डॉक्टरी सलाह के बिना नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सब लोगों में मदद नहीं कर पाते हैं और कुछ लोगों में नुकसान भी कर सकते हैं
3. साइकोथेरेपी: इरेक्टाइल डिस्फंक्शन करने वाले मानसिक कारणों को पहचान कर उनको ठीक करना भी उतना ही जरूरी है जितना कि मेडिकल इलाज.
4. शॉक वेव थेरेपी- शॉक वेव थेरेपी एक नई चिकित्सा पद्धति है जो कि ध्वनि तरंग का इस्तेमाल करके लिंग में खून के प्रवाह को बढ़ाने में मदद करती है हालांकि अभी इसका इस्तेमाल बहुत ज्यादा प्रचलित नहीं है और इसके इस्तेमाल पर रिसर्च अभी भी जारी है
इन चिकित्सा पद्धतियों के अलावा कुछ और तरीके भी कई बार इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे कि लिंग में लगने वाले इंजेक्शन ,वेक्यूम पैदा करने वाली मशीन इत्यादि, हालांकि इन तरीकों का इस्तेमाल तकलीफ देह रहता है और अधिकतर मरीज इसे पसंद नहीं करते.
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (नपुंसकता) के इलाज के कई सफल तरीके उपलब्ध है और जल्द से जल्द इलाज सफलता की संभावना को और बढ़ाता है